पुष्पीय पौधे :- Phanerogames Plant
पुष्पीय पौधे (Phanerogams)
फूल, फल और बीज (Seeds) विकसित होने वाले पौधो को पुष्पीय (Phanerogams) पौधे कहते है। इनके दो वर्ग होते है।
1. आवृतबीजी ( Angiosperm) 2. अनावृतबीजी (Gymnosperm)
◆◆ 1. आवृतबीजी ( Angiosperm)
आवृतबीजी पौधे पादप जगत में सर्वोच्च पौधे होते है। ये ऐसे पुष्पीय पौधे होते है जिनके बीज फल के अंदर ढके रहते है। आवृतबीजी पौधे की लगभग 2,50,00 जातियां अभी तक ज्ञात है। विकसित पेड़ -पौधे के शरीर विभिन्न अंगों के द्वारा विभिन्न कार्य सम्पन्न करने के तरीकों को श्रम-विभाजन (division of labour) कहते है।
श्रम-विभाजन के आधार पर विकसित पौधों के शरीर को दो भागों में बांटा जाता है।
प्रथमः – वर्धि अंग (vegetative organs) और द्वितीय जननात्मक अंग (reproductive organs)
वर्धि अंगों में पौधे के शरीर के वे अंग होते है जो मुख्य रूप से पौधों के पोषण में सहायक होते है कभी-कभी ये अंग जनन में भी सहयोग करते है। वर्धि अंग का मुख्य कार्य पोषण ही होता है। ये निन्म है :- जड़ (root), तना (stem) और पत्तियाँ (leaves) ।
जननात्मक अंग (reproductive organs) का मुख्य कार्य जनन करना होता है। यह अंग पौधे के नस्ल को बढ़ाने का कार्य करते है।
जैसे :- फल (fruit) और बीज (seeds)।
आवृतबीजी ( Angiosperm) को दो वर्गों में विभक्त किया गया है।
(क). एकबीजपत्री ( Monocotyledons)
ऐसे आवृतबीजी ( Angiosperm) पौधे जिनके भ्रूण में केवल एकबीजपत्र होता है, एकबीजपत्री कहलाते है। इसकी लगभग 65,000 जातियां ज्ञात है। ये पौधे शाक तथा झाड़ी वाले होते है। जैसे :- गेंहूँ, धान, मक्का इत्यादि।
(ख). द्विबीजपत्री (dicotyledons)
ऐसे आवृतबीजी ( Angiosperm) पौधे जिनके भ्रूण में दो बीजपत्र रहते है। इनके लगभग 1,85,000 जातियों का ज्ञान मानव को है। जैसे :- चना, मटर, सेम इत्यादि।
◆◆ 2.अनावृतबीजी (Gymnosperms; gymnos-नंगे, sperm -बीज)
ऐसे पुष्पीय पौधा जिनके बीज फल में नहीं ढँका रहता अनावृतबीजी कहलाता है। इनकी करीब 700 जातियां पायी जाती है।
इसके निम्नलिखित मुख्य वर्ग हैं-
(i) साइकैड्स (Cycads) – ऐसे लम्बे पुष्पीय पौधे जिसके धड उध्ध्व, मजबूत तथा अशाखीय होती हैं तथा शीर्ष पर पतियों का समृह होता है, साइकैड्स कहलाते हैं। ऐसे पौधों में नर एवं मादा के रूप में धड़ से ऊपर अलग-अलग पौधे पाये जाते हैं। जैसे-साइकस ।
(ii) कोनिफर्स (Conifers) –ऐसे पुष्पीय पौधे जो लम्बे, उध्र्व शाखायुक्त तनेवाले तथा सदाबहार होते हैं तथा जिसमें विकसित जड़ें एवं हरी सरल पत्तियाँ पाई जाती हैं, कोनिफर्स कहलाती हैं। ये लंबे औऱ शाखायुक्त तने वाले वृक्ष होते है। बीजाणुपर्ण नर और मादा शकु पर लगे हुए रहते है। ऐसे पौधे के भूर्ण में दो या दो से अधिक बीजपत्र पाये जाते हैं। जैसे- पाईनस