खगोलीय व अंतरिक्ष विज्ञान
■ तारे
• तारे स्वतः चमकदार गैसों के विशाल पिण्ड हैं, जो स्वयं के गुरुत्वाकर्षण बल से परस्पर बंधे रहते हैं।
• तारे पैदा होते हैं; ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं व स्वयं समाप्त हो जाते हैं।
जो तारा जितना अधिक चमकीला होता है, उसका जीवनकाल उतना ही कम होता है ।
• ब्रह्माण्ड में तीव्र चमकदार तारों का जीवनकाल 10 वर्ष होता है, जबकि सूर्य, जो कि स्वयं एक तारा है, का जीवनकाल 1010 वर्ष है।
• ग्रीक नामकरण के अनुसार तीव्र चमकदार तारों को ग्रीक अक्षर a (अल्फा) से प्रदर्शित करते हैं।
■ पुच्छल तारा
• पुच्छल तारे इस प्रकार सूर्य का चक्कर लगाते हैं कि इनकी पूंछ का फैलाव सदैव सूर्य की विपरीत दिशा में रहता है तथा सिर सूर्य की ओर रहता है ।
हैली का पुच्छल तारा एक प्रमुख पुच्छल तारा है जो अंतिम बार मार्च, 1986 में दिखाई दिया था । अब यह 2062 में दिखायी देगा ।
□ उल्का (Meteor)
• उल्का छोटे-छोटे आकाशीय पिण्ड हैं, जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं। जब ये पिण्ड पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण इसके वायुमण्डल में प्रवेश करते हैं तो वायुमण्डलीय घर्षण के कारण जलकर नष्ट हो जाते हैं।
• उल्का के पृथ्वी की ओर आने को ही तारों काँ टूटना कहते हैं।
• कुछ उल्कायें वायुमण्डल में पूरी तरह से नहीं जल पाती हैं एवं इस प्रकार बचा हुआ पिण्ड पृथ्वी पर आकर गिर पड़ता है। इसे उल्का पिण्ड (Meteorite) कहते हैं।
■ ग्रह
• यह सूर्य की परिक्रमा विभिन्न दीर्घवृत्ताकार कक्षाओं में करते हैं। इनकी संख्या नौ है ।
• ग्रहों का अपना प्रकाश नहीं होता तथा ये सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं।
• बुध सूर्य के सबसे निकटतम ग्रह है। यह ग्रह सूर्य का चक्कर 88 दिन में पूरा कर लेता है । इस ग्रह पर वायुमण्डल नहीं है। इस ग्रह का कोई उपग्रह नहीं है।
• शुक्र का आकार लगभग पृथ्वी के समान है। इस ग्रह पर कुछ जीवित ज्वालामुखी भी हैं।
■ यहाँ पर सल्फ्यूरिक अम्ल की बूँदों के बादल पाये जाते हैं तथा यह माना जाता है कि अधिकतर सल्फर ज्वालामुखी पर्वतों से निकली है। शुक्र ग्रह का कोई उपग्रह नहीं है ।
• मंगल, सूर्य का चौथा ग्रह है। इस ग्रह की सतह अत्यन्त जटिल है । यहाँ पर बड़े-बड़े रेगिस्तान, ज्वालामुखी व पर्वत पाए जाते हैं। इनके अतिरिक्त यहाँ पर चैनल भी पायी जाती है। इनमें से एक चैनल ‘Valles Marineris’ है। इस ग्रह के दो उपग्रह हैं-फोबोस व डेमोस ।
• वृहस्पति सौरमण्डल का सबसे बड़ा व भारी ग्रह है । इस ग्रह के 16 उपग्रह हैं। •
शनि वृहस्पति के बाद सौरमण्डल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इस ग्रह के 21 उपग्रह हैं। इसके चारों ओर वलय (rings) पाए जाते हैं। इन वलयों की संख्या 10 है।
• अरुण ग्रह की खोज 1781 में विलियम हरशैल ने की थी । शनि की भाँति ही इस ग्रह के चारों ओर भी वलय पाए जाते हैं। इस ग्रह के 15 उपग्रह हैं।
वरुण ग्रह की खोज 1846 में जॉन गैले ने की थी । इसके वायुमण्डल में मीथेन गैस पाए जाते है, जिसके कारण यह हरे रंग का दिखलाई पड़ता है ।
• यम ग्रह की खोज 1930 में क्लाड टामवो ने की थी। इसके वायुमण्डल में सम्भवतः मुख्य रूप से बर्फ व मीथेन पायी जाती है ।