वैदिक काल और सभ्यता
आर्य आल्प्स पर्वत के पूर्वी क्षेत्र यूरेशिया के निवासी थे निवासी थे। इनकी मातृभाषा संस्कृत और प्रमुख पेशा पशुपालन था। यातायात व अन्य कार्यों के लिए घोड़ों का प्रयोग करते थे। आर्य कई झुंडों में मध्य एशिया से ईरान होते हुए भारत आये। इराक में मिले 1000 ई.पू. के कस्सी अभिलेख एवं 1400 ई.पू. मितानी अभिलेख में कुछ आर्य नामों का उल्लेख है। उनसे संकेत मिलता है कि आर्यो की एक शाखा पस्चिम दिशा की ओर चली गयो थी। संस्कृत में ऋग्वेद के पहले की किसी रचना का का उपलब्ध नही होना भी इस भाषा का इसके बोलने वाले का भारत के बाहर से आना स्वाभाविक लगता है।
वैदिक काल काल के निर्धारण
स्वामी दयानंद के अनुसार आर्य सृष्टि के प्रारंभ से विद्यमान है। बाल गंगाधर तिलक के अनुसार आर्य 6000 ई.पू. से 4000 ई.पु. में थे। मैक्समूलर के अनुसार 1200 ई.पू. में आये थे। जर्मन विद्वान याकोवी ने ज्योतिष-सम्बन्धी तथ्यों के आधार पर वेदों का रचनाकाल निर्धारित करने का प्रयास किया। उसने वैदिक साहित्य के काल निर्धारण के लिये विभिन्न ऋतुओं तथा में नक्षत्र के वर्षारम्भ की स्थिति तथा गुह्यसूत्रोमें प्रचलित ध्रुव दर्शन की प्रथा को आधार बनाया। इनके अनुसार आर्य का वैदिककाल 4500 ई. पू. से 2500 ई. पू. तक था।
आर्य भारतवर्ष में लगभग 1500 ई.पूर्व आये थे। यधपि आर्य बहुत बार मे झुंडों में भारत आये इसलिए इनके भारत में आगमन का एक निश्चित काल निर्धारण करना कठिन है। आर्य सवर्प्रथम पंजाब और अफगानिस्तान के क्षेत्र में आकर बस गए। इसके बाद आर्यो ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र के पास के प्रदेशों पर अधिकार किया और उन क्षेत्रों का नाम ब्रम्हावर्त रखा। ब्रम्हावर्त पर अधिकार करने के बाद आर्यो ने गंगा-यमुना के दोआब क्षेत्रो और उनके निकट जे क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। इन क्षेत्रों का नाम ” ब्रम्हऋषि ” रखा। आर्य मध्य एशिया से अफगानिस्तान के रास्ते से होते हुए भारत आये थे। वैदिक साहित्य में इन क्षेत्रों में बहने वाली नदियाँ का जिक्र किया गया है। जैसे:- काबुल (कुंभा), स्वात (सुवास्तु), कुर्रम (कुरमु) और गोमल ( गोमती) का ज़िक्र है।
ऋग्वेद में भी आर्यो के निवास-स्थान के सप्त सिन्ध प्रदेश का वर्णन किया गया है। इसका अर्थ पंजाब प्रांत की सात नदियों से है। सप्तसिंध में सिन्धु नदी सबसे महत्वपूर्ण नदी थी। ऋग्वेद में सरस्वती नदी और द्वशदती नदी का उल्लेख मिलता हैं। ये दोनों नदियाँ राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रो में बहती थी। यमुना नदी का उल्लेख गंगा नदी से ज्यादा बार ऋग्वेद में हुआ है।