इंकजेट प्रिंटर कागज़ पर प्रिंट आउट कैसे करते है।
इंकजेट प्रिंटर में डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की तरह ही प्रिंट हेड होता है। लेकिन इंकजेट प्रिंटर के प्रिंट हैड में धातु की पिनें नही होती है। इसके स्थान पर इसमें अनेकों छोटे छोटे बाल से भी पतले नोजल लगे हुए रहते है, जो कागज़ पर इंक को छिड़कते है।
इंकजेट प्रिंटर का प्रिंट हैड को कार्ट्रिज कहा जाता हैं। प्रिंट कार्ट्रिज में नोजल और इंक रहती हैं। जब प्रिंटर अधिक इंक नही छोड़ता है तो प्रिंटिंग हल्की होने लगती है। तब कार्ट्रिज को बदल दिया जाता है। एक इंकजेट कार्ट्रिज में 50- 60 कई संख्या में नोज़ल होते है।

हीटिंग तकनीक
इंकजेट प्रिंटर में प्रायः हीटिंग तकनीक या प्रेसर तकनीक का प्रयोग करके कागज़ पर इंक छिड़कने के।लिए किया जाता हैं। हीटिंग तकनीक में कार्ट्रिज का हरेक नोज़ल एक छोटे से इंक के एक कोष्ठ में जुड़ा रहता है। यह इंक का कोष्ठ एक टैंक से से संबंधित रहता है। जब कभी प्रिंटर प्रिंट करने का निर्देश प्राप्त करता है, तब कुछ मात्रा में इंक , इंक प्रकोष्ठ से बाहर आती है और अधिक तापमान ( बॉयलिंग टेम्प्रेचर) तक गर्म हो जाती है। जब एक बार इंक गर्म हो जाती है तो बुलबुले का निर्माण करती है। यह बुलबुले प्रिंटर कार्ट्रिज के नोज़ल के द्वारा बाहर निकलकर कागज़ पर गिरती है। इसके बाद इंक की बहुत छोटी छोटी बूंदे कागज़ पर दिखाई देती है। इन बूंदे का आकार बहुत ही छोटा लगभग 50-60 माइक्रोन (मनुष्य के बालों के व्यास से भी कम) के बराबर होता है। जैसे ही यह छोटा इंक कोष्ठ ठंडा होता है तो एक वैक्यूम बनती है जो इंक कोष्ठ में अधिक इंक को ठेलती है। इस कारण ओर भी छोटी छोटी बूंद तैयार हो जाती है। यह प्रक्रिया बहुत तेज़ी से तब तक चलती है जब तक प्रिंटर से कागज़ पर प्रिंटिंग की काम समाप्त न हो जाये।

प्रेशर तकनीक
कागज़ पर इंक छिड़कने का एक दूसरा तकनीक प्रेशर तकनीक भी है। इस तकनीक में ताप के बदले दाब का प्रयोग करके कागज़ पर इंक छिड़कने का कार्य किया जाता हैं।
कलर इंकजेट प्रिंटर सामान्य प्रिंटिंग के लिए काली इंक का उपयोग करते हैं। अन्य रंगों के लिए कलर कार्ट्रिज का प्रयोग करते है।