पादप जगत (BOTONY)

हिमालय क्षेत्र का कार्तिक शहद

By nextgyan

February 16, 2020

 

 

शहद आदी काल से ही मधुर द्रव्य का प्रतिनिधित्व करता है। मधुमक्खी के अनेक उत्पादों में सबसे लोकप्रिय है जिसका उपयोग सदियों से होता आ रहा है। शहद में विटामिन-ए, बीटा केरोटीन, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन, विटामिन-सी, डी, ई, के, मैग्नेशियम, सल्फर, फास्पोरस, लौह, कैल्शियम, क्लोराइन, आयोडीन, पोटासियम, सोडियम,कॉपर और मैगनीज़ के अतिरिक्त 19 एमिनो एसिड विधमान है। शहद में एंजाइम की भरमार रहती है। इसमे ग्लूकोज़ और फ्रक्टोज़ प्रचुर मात्रा में रहता है। मधुमक्खी पौधे के पुष्पों के रस लेकर मीठा शहद का निर्माण किया करती है। मधुमक्खी सबसे उत्तम प्रकार का पुष्प-रस पाने के लिए उड़ते हुए लगभग 65,000 किलोमीटर तक की यात्रा कर लेती है। तकरीबन 20 लाख पौधे तक जाती है।

शहद में ज़ख्मों को ठीक करने, प्रदूषणों का इलाज करने और तुरंत ऊर्जा प्रदान करने में सामर्थ्य है। शहद की पहचान शुद्ध शहद जल में अपने आप नही घुलता है, जबकि चीनी शहद कुछ ही समय मे स्वत: जल में घुल जाती है। शहद जितना गाढ़ा होती है, उसमे नमी (ह्यूमिडिटी) की मात्रा जितनी अल्प होगी, शुद्धता के दृष्टिकोण से वह शहद उतना ही सर्वोतम माना जाता है। शहद की प्रकृति है कि यह ठंडी में जम जाती है और उष्णकाल में स्वत: पिघलने लगती है। शहद की पहचान ऋतु, वनस्पति और पुष्प के पराग के रूप में भी पहचान की जा सकती हैं।

हिमालय का कार्तिक शहद या मधु सर्वोत्तम होता है। कार्तिक मधु औषिधि गुणों से भरपूर होते है। इस ऋतुकाल का शहद दानेदार, सुगंधित और जमने पर सफेद होती है। इसका स्वाद कंठ में हल्की मिर्च जैसी लगती है। यह अल्प पाया जाता है। इसमे अत्यधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पायी जाती है। फाल्गुन-चैत्र माह में सरसों के पुष्पों का निर्मित शहद की प्रकृति भी कार्तिक मधु जैसी ही होती हैं। वैशाख और जयेष्ठ माह में उत्पन्न होने वाला शहद सुगंधित और लाल रङ्ग का होता है। यह शहद कम जमता है। आषाढ़ माह का शहद भी ज़्यादा लाल रङ्ग का कभी कभी स्वाद में तीखा होता है। इसका अधिक मात्रा में उपयोग करने से शरीर मे गर्मी पैदा करती है। कभी कभी पेचिश भी सकती है। गुण शहद को गर्म जल के साथ ग्रहण करने और गर्म तथा शीतल लज के साथ ग्रहण करने पर ठंडा होता है। शहद में ऑपरेशन के बाद ज़ख्मों पर लगाने से फायदेमंद होता है। शहद में बैक्टेरिया नाशक, एलर्जी और उद्दीपन रोकने वाले और कफ-निस्कारक तत्व विधमान रहते है। शहद में शरीर की निरोधक जैविक सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए , कमज़ोर कोशिकाओं को नवजीवन प्रदान करती है। शहद में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पायी जाती है जो अलग अलग क्षेत्रों में पाई जाने वाली शहद में अलग अलग किस्म के एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते है। शहद में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक और एंटीवायरल गुण होते है। शहद एक ऐसा एंजाइम है जो हाइड्रोजन पर ऑक्साइड का उत्पादन करते है। इसकी रोगाणु से लड़ने के गुण का कारण भी यही है।