रोम साम्राज्य की सभ्यता
यूरोप के दक्षिण भाग में इटली एक प्रायद्वीप है, जिसकी राजधानी रोम हैं। यह समुद्र से लगभग बारह मील दूर टाईबर नदी के तट पर स्तिथ है। इसके उत्तर में आल्प्स पर्वत है। शुरूआत में रोम एक साधारण छोटा गांव था जिसका क्षेत्रफल पाँच वर्गमील था। कालांतर में रोम गाँव से नगर राज्य, नगर राज्य से देश और देश से साम्रज्य बन गया। रोम के।निवासी आर्य जाति के थे। प्राचीन रोम के निवासी ” एट्रस्कन ‘ जाती के वंशज थे।
753 ई.पू• में रोमस और रोमुलस नामक दो भाइयों ने रोम का शिलान्यास किया था।जंगल, बंजर भूमि और पठार-पहाड़ियों को काटकर कृषि योग्य भूमि का निर्माण किया। रोम सात पहाड़ियों पर बस हुआ था। इन पहाड़ियों में सबसे ऊंची कैतीपोलिया पहाड़ी पर दुर्ग बना था।
पड़ोसी देशों मिस्त्र, कार्थेज और फोनेशिया के साथ व्यापार शुरू किया। अनेकों देशों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित होने से इस सभ्यता का विकास तेज़ी से हुआ। समाज मे प्लेवियन (गरीब वर्ग) और पेट्रेशियन (अमीर वर्ग) का उदय हुआ। बाद में रोम में गणतंत्र की स्थापना हुई। प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए कार्यपालिका, लोकसभा, सीनेट आदि राजनीतिक संस्थाओं का जन्म हुआ। संकटकालीन अवस्था से निपटने के लिए सर्वशक्तिमान अधिकारी का चयन होने लगा। ये स्वेच्छा से शासन करते थे, इनका कार्यकाल मात्र छह माह का था।
कार्थेज उत्तर अफ्रीका का एक राज्य था जो बहुत ही शक्तिशाली था। भूमध्यसागर के पश्चिमी भाग पर इस राज्य का बहुत बोल-बाला था। नज़दीकी देशों को अपने राज्य मे मिलाकर साम्राज्य का विस्तार कर रहा था। उस समय रोम भी साम्रज्य-वादी हो गया था। अंत मे दोनी में टकराव हुए। सिसिली पर अधिकार करने हेतु रोम और कार्थेज के मध्य 264 ई. पू. में युद्ध शुरू हो गया।
जो 118 वर्षो तक चला। रोमन साम्राज्य इतिहास में इसे पयुनिक युद्ध के नाम से जाना जाता है। क्योंकि कार्थेज़वासियो को रोमन लोग ” प्यून ” कहा करते थे। जल और थल दोनो जगहों पर यद्ध हुई। इस युद्ध मे कार्थेज की हार हुई। कार्थेज को आत्मसमपर्ण कर अपमानजनक संधि करनी पड़ी। कार्थेज नगर को नष्ट कर दिया गया और वहॉ के निवासियों को गुलाम बना दिया गया। पयुनिक युद्ध के बाद रोमन साम्राज्य का विस्तार चारों दिशाओं में निर्बाध गति से होने लगा। भूमध्यसागर सागर पर रोम का एकाधिकार स्तापित हो गया। रोमनों ने ” सिसिली ” द्वीप पर अधिकार करने के साथ साथ ” सार्डिनिया ” और ” कोर्सिका ” द्वीपों पर भी अधिकार कर लिया। इसके अतिरिक्त स्पेन और अफ्रीका का उत्तरी भाग रोमन साम्राज्य के अंग बन गए। 146 ई.पू. में रोमनों ने यूनान पर अधिकार कर लिया तथा कोरिंथ नगर के सभी निवासियों को दास बना लिया। कालांतर में रोमनों ने मकदूनिया, क्रीट, साइप्रस और मिस्र को रोमन साम्राज्य में शामिल कर लिया। ईसा पूर्व के मध्य में ब्रिटेन पर भी आक्रमण कर दिया। ईसा पूर्व के आरंभ तक रोमनों ने गॉल पर भी कब्ज़ा करने के साथ रोमन साम्राज्य का विस्तार पश्चिम में स्पेन से लेकर पूर्व में फरात की खाड़ी तक हो चुका था। यह विश्व इतिहास का पहला साम्राज्य था।
कार्थेज के युद्ध के बाद रोमन साम्राज्य की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति में महान परिवर्तन आने लगे। साम्राज्य विस्तार के परिणाम संकटकालीन साबित हुए। रोमन शासन तंत्र पर सेनापति का वर्चस्व प्रायः कायम हो चुका था। वर्चस्व की इसी प्रतिस्पर्धा में सेनापति जूलियस सीज़र ने अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पाम्पी की हत्या (मिस्त्र में) कर दिया। और इसी क्रम में जूलियस सीज़र मिस्त्र की अपूर्व सुंदरी महारानी क्लेयोप्रेटा पर मंत्रमुग्ध हो गया था।