महाजनपद औऱ मगध का उत्कर्ष
महाजनपद तथा मगध का उत्कर्ष ईसा पूर्व छठी सदी में हुआ था। ईसा पूर्व 6ठी वीं सदी से पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में लोहे का व्यापक प्रयोग होने से बड़े-बड़े प्रादेशिक या जनपद राज्यों का विकास संभव हुआ।खेती के लिए नये औजार उपलब्ध हो जाने के कारण किसान अपनी आवश्यकता से अधिक अनाज पैदा करने लगे, जिसक कारण बड़े शहरों का विकास हुआ, तथा राजा को शक्ति में व्यापक वृद्धि संभव हुई।
लोग जो पहले कबीलों से संबंध रखते थे वे अब जनपदों से जुड़ने लगे। बुद्धकालीन भारत में लगभग 16 जनपदों का विकास हुआ जिन्हें षोडस महा-जनपद कहाँ जाता था। बोद्ध साहित्य ” “अंगुत्तरनिकाय” में इन सोलह जनपदों का वर्णन मिलता है। बोद्ध साहित्य में कुछ गणराज्यों के उल्लेख निम्न प्रकार से मिलते है- कपिलवस्तु के शाक्य, पावा के मल्ल, कुशीनारा के मल्ल, रामगाम के कोलिय, मिथिला के विदेह पिप्पवलन के मोरिय, सुंसुमारपर्वत के भग्ग, अलक्कप के बुलि,केसपुत्त के कलाम, वैशाली के लिच्छवि ।
ये जनपद निम्नलिखित थे।
(1) काशी :-इसकी राजधानी वाराणसी थी
(ii) कोशल :-इसको राजधानी श्रावस्ती थी। यह उत्तर प्रदेश के मध्य में स्थित था।
(iii) अंग :-इसकी राजधानी चंपानगरी थी | मगध राज्य के पूर्व में यह राज्य स्थित था।
(1V) मगध:- राजधानी राजगृह था जिसका पुराना नाम गिरिब्रज था। आधुनिक बिहार के नालंदा (बिहार) जिले स्थित था।
(v) वज्जि :-यह आठ राज्यों का एक संघ था। इसकी राजधानी वैशाली थी। यह राज्य आधुनिक बिहार के उत्तरी भाग में विस्तृत था।
(vi) मल्ल :–यह गणराज्य वज्जि संघ राज्य के उत्तर में स्थित था। यह दो भागों में विभक्त था। एक की राजधानी पावापुरी तथा दूसरे की कुशीनगर थी। कुशीनगर में ही भगवान बुद्ध का देहावसान हुआ था।
(vii) चेदि :-इसकी राजधानी ‘शुक्तिमती’ था। यह राज्य आधुनिक बुंदेलखंड में स्थित था। शिशुपाल यहाँ का राजा था।
(viii) वत्स :-वर्तमान प्रयाग (इलाहाबाद) के आसपास के क्षेत्रों में विस्तृत था। इसकी राजधानी कौशाम्बी थी। अवंति के साथ हमेशा इसका संघर्ष होता रहता था।
(ix) कुरु :-इसकी राजधानी इन्द्रप्रस्थ थी। यह महाभारत के पाण्डवों की राजधानी थी। यह राज्य वर्तमान दिल्ली और मेरठ के समीप स्थित था।
(x) पांचाल :- यह दो भागों में विभाजित था।उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र तथा दक्षिणी पांचाल की राजधानी काम्पिल थी।
(xi) अस्मक :-इसकी राजधानी ‘पाटन’ थी। अवन्ति के दक्षिण में गोदावरी के तट पर यह राज्य स्थित था।
(xii) मत्स्य :–यह राज्य वर्तमान जयपुर,अलवर, भरतपुर के जिलों में विस्तृत था। इसकी राजधानी विराटनगरी’ थी।
(xiii) शुरशेन :-इसकी राजधानी मथुरा थी। यह राज्य मत्स्य राज्य के दक्षिण में स्थित था।
(xiv) गान्धार :-यह आधुनिक कश्मीर तथा आसपास के क्षेत्रों में फैला था। इसकी राजधानी तक्षशिला थी। यह ज्ञान-विज्ञान का बहुत बड़ा केन्द्र माना जाता था।
(xv) कम्बोज :-इसकी राजधानी राजपुर थी। यह आधुनिक पाकिस्तान के कश्मीर, गांधार तथा पामीर के भू-भाग में स्थित था।
(xvi) अवन्ति :-इसकी राजधानी उज्जयनी था। यह राज्य मालवा प्रदेश में स्थित था।
इस युग को महाजनपदों का युग कहा जाता है। इनमे आठ पड़ोसी जोड़ियाँ थी। – अंग-मगध, काशी-कोशल, चेदि-वत्स, गांधार-कम्बोज, मत्स्य-सूरसेन, कुरु-पांचाल, वृज्जी-मल्ल और अस्मक-अवंति।