बैटरी का निर्माण
इटालियन भौतिकविद, रसायनशास्त्री और इलेक्ट्रिसिटी एवं पावर के अग्रणी आलेन्द्रों अन्तासीओ वोल्टा ने बैटरी बनाया। जिसे पहला इलेक्ट्रो केमिकल सेल कहाँ जाता है। इसमे दो इलेक्ट्रोड का प्रयोग किया गया है जिसमे पहला जिंक का दूसरा कॉपर का था।इस बैटरी में सल्फ्यूरिक एसिड को पानी के साथ मिक्स करके अथवा सलटवॉटर brine का बना हुआ इलेक्ट्रोलाइट का प्रयोग किया गया है। brine नमक और पानी का एक उच्च कंसंट्रेशन है । ब्रिन (BRINE) पृथ्वी पर साल्ट लेक, क्रस्ट, Brine पूल और समुद्र के सतह पर प्राकृतिक रूप में पाया जाता है। पानी मे ब्रिन की उपस्थिति अथार्त सांद्रता की जांच हाइड्रो मीटर से की जाती हैं। एलेक्ट्रोकेमिकल सीरीज में जिंक, कॉपर औऱ हाइड्रोजन से अत्यधिक है नेगेटिव चार्ज सलफेट से प्रतिक्रिया करता है। पॉजिटिव चार्ज हाइड्रोजन आयनस (प्रोटोन्स), कॉपर के इलेक्ट्रॉन्स को पकड़त है जिससे हाइड्रोजन गैस के बबल का निर्माण होता है। यही प्रक्रिया जिंक छड़ को नेगेटिव इलेक्ट्रोड और कॉपर छड़ को पॉजिटिव इलेक्ट्रोड बनाती है।
यधपि यहाँ पर दो टर्मिनल है लेकिन करंट का बहाव तब होती हैं जब वह आपस में किसी उपकरण से जुड़ते हैं।यानी वोल्टेज इलेक्ट्रिक चार्ज (आवेश) के फ्लो होने का एक ऐसा दबाव ,जो पावर स्त्रोत से इलेक्ट्रिक सर्किट की तरफ जाती है। अथार्त यह आवेश को चलाने का काम उच्च वोल्टेज से निम्न वोल्टेज के तरफ या पावर स्त्रोत से इलेक्ट्रिक सर्किट के तरफ भेजने का काम करता है।