उत्तराखण्ड में एक गाँव प्रकृति का एक उपहार
हर्सिल घाटी उत्तराखंड के उत्तराकाशी जिले में स्तिथ जगह प्रकृतवासी के लिए स्वर्ग जैसा है। यह कुदरत का दिया गया जीता जागता उपहार है। जहाँ से बर्फीले पहाड़ और नील आसमां से रुबरु होंगे जिसे देखकर आपके मुख से खुद ही राम तेरी गंगा मैली के वह गाना गुनगुनाने लगेगे “हुश्न ये पहाड़ो का” —
हर्षिल वैली, भागीरथी नदी के तट पर घने देवदार जंगलों के मध्य अवस्थित है। यह गंगोत्री के नज़दीक बसा हुआ है जो कि प्रमुख रूप से हरे भरे घासों के मैदानी क्षेत्रों, निर्मल दूध के सदृश बहने वाले झरने और घने देवदार के जंगलों के कारण बहुत ही मनमोहक लगती है। यह समुद्र तल से लगभग दो हज़ार दो सौ फीट की ऊंचाई पर है।
पुरानी मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने यहाँ पर हरि के रूप में जन्म लिया था और भागीरथी नदी और जलधारी नदी के रौद्र रूप को कम करने के लिए यहाँ पर भगवान विष्णु ने एक पत्थर के शिला का रूप लेकर इन नदियों के प्रचंड प्रवाह को अवरुद्ध करके कम किया था। जिसके कारण इस जगह का नाम हरिशिला हुआ करता था। उत्तरोत्तर में एक अंग्रेजी अफसर फेड्रिक बिलसन् में इस जगह का नाम हरिशिला के बदले हर्षिल रख दिया था। हर्षिल एक घाटी है जिसे अंग्रेजी में vally कहा जाता है।
सन 1857 ई. में फेड्रिक विल्सन ने जब ईस्ट इंडिया कंपनी को छोड़कर उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में आये और देखा कि भगीरथ नदी के किनारे एक शांत और मनमोहक सूंदर गाँव है जो घने और विशाल देवदार के वृक्ष से घिरा हुआ है। उन्हें यह जगह इतनी पसंद आई कि उन्होंने यही बसने का निर्णय ले लिया। यहाँ पर उन्होंने ने एक बंगला बनवाया और स्थानीय लोंगो के सानिघ्य से गढ़वाली भाषा सीखी इसके साथ ही उन्होंने यही पर एक स्थानीय पहाड़न लड़की से विवाह भी कर लिया।
फेड्रिक विल्सन ने इंग्लैंड से सेब की एक प्रजाति मंगवायी, जिसे यहाँ पर लगवाया जिसकी खेती आज यहाँ बहुतायत रूप से की जाती है। जिसे वर्तमान में हमलोग विल्सन सेब के नाम से जानते है।
प्रिसिद्ध अभिनेता और निर्देशक राजकपूर ने फ़िल्म ” राम तेरी गंगा मैली ” के अधिकांश दृश्यों का छायांकन इसी गांव हर्षिल वैली की वादियों में किया था। इस फ़िल्म के खूबसूरत और मधुर गीत ‘ हुशन पहाड़ो का क्या कहना, की बारो महीने यहाँ मौसम जाड़ो का”
हर्षिल वैली कुदरत का दिया गया एक उपहार है जहाँ बारहों महीने ठंड का मौसम रहता है। यहाँ नवंबर माह से मार्च-अप्रैल तक चारों तरफ बर्फ ही बर्फ रहती है। हर्षिल के नज़दीक ही गंगोत्री और यमुनोत्री के साथ ही यहाँ पर गौमुख उद्गम स्थल से निकलने वाले भागीरथी नदी का दर्शन किया जा सकता है। इसके पास ही एक प्राकृतिक रूप से बहुत खूबसूरत ‘डोडीताल ” स्थल है जो रंगीन् और मृदुल मछलियों के लिए जाना जाता हैं।
हर्षिल घाटी जाने के लिए देहरादून से ऋषिकेश जाना होता है और ऋषिकेश से सड़क के रास्ते बस , कार इत्यादि के माध्यम से उत्तरकाशी के गढ़वाल क्षेत्र में अवस्थित हर्षिल वैली पर्यटक बड़ी आसानी से जा सकते है।