सिराजुदौला के साथ धोखा और ब्रिटिश साम्राज्य
भारत में मुगल साम्राज्य के अंतिम चरण में तीन प्रान्तों हैदराबाद, बंगाल और अवध के सूबेदारों ने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिया था।
1733 ई.में बंगाल, बिहार और उड़ीसा को मिलाकर बंगाल प्रान्त की स्थापना की गई थी।
सूबेदार:- मुग़ल शासक के द्वारा नियुक्त किया गया प्रशासनिक अधिकारी होता था जो प्रायः राजघराने से सम्बंधित होता था और वह प्रायः दिल्ली में रहता था। दीवानी (राजस्व ) सम्बन्धी कार्य मुग़ल शासक द्वारा नियुक्त किया गया दीवान देखता था जो सूबेदार कि अनुपस्थिति में प्रशासनिक कार्य भी देखता था।
मुर्शिद कुली खाँ– 1700 ई. से 1707 ई. तक सूबेदार व 1707 ई. से 1727 ई तक नवाब
जो बंगाल का प्रथमः नवाब और अंतिम सूबेदार था। मुर्शिद कुली खाँ को औरंगजेब ने 1707 ई.में बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया था। जिसे 1707 ई. में औरंगजेब के अंत के बाद फरुखसियर के द्वारा बंगाल का प्रथमः नवाब बनाया गया।
मुर्शिद कुली खाँ, मुगल-शासक फ़र्रुख़सियर के द्वारा 1717 ई. में निर्धारित किया गया संभवत अंतिम सूबेदार था।
मुर्शिद कुली खाँ प्रत्येक वर्ष एक करोड़, 30 लाख रुपये मुगल सम्राट को राजस्व के रुप में भेजा करता था।
वह स्वयं राजस्व के पैसों को और अन्य प्रकार के राजस्व को पैदल सैनिकों और घुड़सवार सैनिकों के साथ बिहार ले जाते थे और वहाँ मुगल कलेक्टर को दिया करते था।
मुर्शिद कुली खाँ के समय 1719 ई. में उड़ीसा को बंगाल में मिला दिया गया,इसके बाद उड़ीसा की दीवानी भी मुर्शीकुली ख़ाँ के अंतर्गत आ गई। इसके समय बंगाल में तीन विद्रोह हुए।
1.उदयनारायण- सीतानारायन विद्रोह
2.सुजात ख़ाँ का विद्रोह
3.नजात ख़ाँ का विद्रोह
◆ सुजाउद्दीन ख़ाँ – 1727 ई से 1739 ई.
30 जून, 1727 ई. को मुर्शीद कुली खां के अंत के बाद उसके दामाद सुजाउद्दीन मुहम्मद खाँ ने बंगाल की सूबेदारी संभाली। ये इसके पूर्व उड़ीसा के उप-सूबेदार थे। सन 1732 ई. में बिहार को बंगाल में मिला लिया गया। 1732 ई. में अलीवर्दी खाँ को सुजाउद्दीन के द्वारा बिहार का उप-सूबेदार बनाया गया।
सुजाउद्दीन 1727 ई. से 1739 ई. तक बंगाल का नवाब रहा। इसके बाद इसका पुत्र सरफ़राज़ खाँ बंगाल का नवाब बना।
◆ सरफ़राज़ ख़ाँ-1739 ई. -1740 ई.
नवाब सुजाउद्दीन के बाद जब उसका पुत्र बंगाल का नवाब बना तब उसके कुछ समय पूर्व ही 1739 ई. में भारत पर नादिरशाह का आक्रमण हुआ। जिसके कारण पूरा मुगल प्रशासन हिल गया। नादिर शाह ने मुगलों का मयूर सिंहासन हड़प लिया था।
सरफ़राज़ खाँ अयोग्य और कमज़ोर शासक था।
इसका फायदा उठाकर अलीवर्दी ख़ाँ ने घुस देकर दिल्ली से एक फरमान जारी कर लिया , जिसके अनुसार सरफ़राज़ ख़ाँ को हटाकर उसे बंगाल का नवाब नियुक्त किया था।
◆ अलीवर्दी खाँ- 1740 ई. से 1756 ई.
सरफ़राज़ खाँ के पिता सुजाउद्दीन के द्वारा 1732 ई. में नियुक्त किये बिहार के उप-सूबेदार अलीवर्दी ख़ाँ ने 1740 ई.में अपने सहयोगी हाजी अहमद और जगत सेठ के मदद से विद्रोह कर दिया। 1740 ई. में राजमहल के निकट गिरिया के युद्ध मे अलीवर्दी ख़ाँ और सरफ़राज़ खाँ के बीच युद्ध हुआ जिसमें सरफ़राज़ पराजित हो गए और अलीवर्दी खाँ बंगाल का नवाब बना।
,◆ नवाब बनने के बाद अलीवर्दी खाँ ने मुगल बादशाह शाह रंगीला को 2 करोड़ रुपए नज़राना के रूप में भेज कर शाही फ़रमान प्राप्त कर लिया, जिसमे मुगल बादशाह ने अलीवर्दी खाँ को बंगाल का नवाब स्वीकृत करने का शाही घोषणा जारी कर दिया। इसप्रकार अलीवर्दी खाँ बंगाल का प्रथम नवाब बना जिसे मुगलों द्वारा आधिकारिक रूप से बंगाल का प्रथम नवाब घोषित किया गया।
■ बंगाल के नवाब के रूप में अपने शासनकाल में उन्होंने मराठों से लगातार युद्ध किया। 1740 ई.से 1751 ई.तक मराठों से संघर्ष करते रहे। अंत मे इन्होंने मराठाओं से 1751 ई.में संधि कर लिया।
जिसके अंतर्गत
1.हर बर्ष 12 लाख रुपये चौथ के रूप में मराठों को देना स्वीकार कर लिया।
2. उड़ीसा ,मराठों को देना स्वीकार किया।
अलीवर्दीख़ाँ ने अंग्रेजों को बंगाल में व्यापार करने की अनुमति अपने शासन काल मे में दिया, लेकिन किलेबंदी और सेना
रखने का अधिकार अपने पास ही रखा।
■ सिराजुदौला
सिराजुदौला, अलीवर्दी ख़ाँ के तीन बेटियों में से सबसे छोटी बेटी अमीना बेगम का पुत्र थे।
बिहार में अफगानों के बढ़ते हुए हमलों से रक्षा के लिए और आक्रमणकारियों को उखाड़ फेंकने के लिए अपने प्यारे नाती सिराजुदौला को सूबेदार नियुक्त किया।
प्लासी की लड़ाई में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव भारत मे मज़बूती से धर कर गई।
सिराजुदौला स्वतंत्र बंगाल का अंतिम नवाब था जिसे धोखे से मारकर अँग्रेज़ी हुकूमत ने भारत पर 100 वर्षों तक राज किया।
(◆◆ मीरज़ाफर-मीरज़ाफर ,सिराजुदौला का एक वीर सेनापति था। रोबर्ट क्लाइव ने मीरज़ाफर को नवाब के पद का लालच देकर अपने तरफ मिला लिया।◆◆)
जब सिराजुदौला 1756 ई. में बंगाल के नवाब बने तब अंग्रेजो ने कोई उपहार नही भेजा जिससे अंग्रेजों और सिराजुदौला के बीच तनाव बढ़ गए थे।
अंग्रेजों और फ्रांसीसियों ने कलकत्ता और कासिम बाजार में किलेबंदी शुरू कर दिया। सिराजुदौला ने इसका विरोध किया, फ्रांसीसी तो मान गए लेकिन अंग्रेजों ने किलेबंदी जारी रखा। जिससे सिराजुदौला नाराज़ हो गए। इससे क्रुद्ध होकर नवाब ने सेना भेज कर कलकता और कासिम बाजार पर कब्ज़ा कर लिया और बहुत अंग्रेजो को बंदी बनाकर काल कोठरी में डाल दिया।
◆ रोबर्ट क्लाइव ने मीरज़ाफर (जो सिराजुदौला के सेनापति था) को अपने तरफ मिला लिया था और उसके इशारे पर रोबर्ट क्लाइव की सेना ने 23 जून ,1757 ई. को प्लासी के मैदान, (प्लासी-बंगाल के नदिया जिले में गंगा नदी के।किनारे एक मैदान है) सिराजुदौला के सेना पर हमला कर दिया। मीरज़ाफर चुपचाप लडाई देखता रखा।
सिराजुदौला को अपनी गलती का एहसास हो गया और पराजित हो गया, अपने प्राणों की रक्षा के लिए युद्व भूमि से निकलने का प्रयास किया लेकिन मीरज़ाफर का पुत्र मीरकासिम ने उसकी हत्या कर दी। इसप्रकार एक धोखे और बाज़ीगरी के बल पर अँग्रेजो ने बंगाल पर कब्ज़ा कर लिया । इसके बाद अंग्रेज़ो का भारत का वास्तविक शासन का मार्ग प्रशस्त ही गयी।