मुगल साम्राज्य और सम्राट कालक्रमानुसार
मुगल साम्राज्य के शासक शासन के क्रम में
1. बाबर · हुमायूँ – अकबर जहाँगीर –
शाहजहाँ · औरंगज़ेब बहादुर शाह प्रथम
जहाँदारशाह · फ़र्रुख़सियर –
रफ़ीउद्दाराजात रफ़ीउद्दौला · नेकसियर –
मुहम्मद इब्राहीम · मुहम्मदशाह रौशन
अख़्तर · बादशाह अहमदशाह · आलमगीर
द्वितीय शाहआलम द्वितीय · अकबर
द्वितीय बहादुर शाह ज़फ़र
मुगलों का उत्थान
मुगल साम्राज्य की स्थापना जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर ने सन् 1526 ई० में की |उसका जन्म मध्य एशिया के वर्तमान उज़्बेकिस्तान में हुआ था।
बाबर का पिता तैमूर के तुर्क वंश का था. उसकी माता चंगेज खां के मंगोल वंश की थी । फरगना में अपनी हार के बाद उसने भारत की तरफ कदम बढ़ाया। 1507 ई. में बाबर ने अपने पूर्वजों द्वारा धारण की गई उपाधि “मिर्ज़ा” को त्याग कर ” पादशाह ” की उपाधि धारण किया।
.◆ 20 अप्रैल, 1526 ई० में पानीपत की प्रथम लड़ाई में घमासान युद्ध शुरू हुआ। इस युद्ध में बाबर ने मंगोल सेना की प्रसिद्ध
व्यूह रचना तुलुगमा का प्रयोग किया। इस युद्ध मे दिल्ली सल्तनत के शासक “इब्राहिम लोदी” को पराजित किया। इस युद्ध मे बाबर ने अपने दो प्रिसिद्ध निशानेबाज “उस्ताद अली” और ” मुस्तफा “ की सेवाएं ली। भारत विजय के उपलक्ष्य में बाबर ने प्रत्येक काबुल वासी की एक एक चांदी का सिक्का दिया इसीकारण उसे “कलंदर ” की उपाधि मिली।
बाबर ने अपनी आत्मकथा तुजुके बाबरी या बाबरनामा तुर्की भाषा में लिखी ।
राणा सांगा के विरुद्ध खानवाँ की लडाई में उसने ‘जिहाद‘ की घोषणा की तथा ‘गाजी’ की उपाधि धारण की।
◆बाबर – की 26 दिसंबर,1530 ई. में मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र हुमायूँ 30 दिसम्बर, 1530 ई० में 23 वर्ष की उम्र में गद्दी पर बैठा। बाबर ने अपना राज्याभिषेक अपनी दादी “ऐहसान दौलत बेगम” से करवाया। हुमायूँ का जन्म बाबर की पत्नी ‘माहम बेगम’ के गर्भ से 6 मार्च, 1508 ई. को काबुल में हुआ था। बाबर के चार पुत्र थे जिसमें हुमायूँ सबसे बड़ा था। मैगल सल्तनत की गद्दी पर बैठने के पूर्व 1520 ई. में 20 वर्ष की आयु में ही हुमायूँ को बदख्शाँ का सूबेदार नियुक्त किया गया था।
◆ हुमायूं
बाबर ने अपनी मृत्यु से पूर्व ही हुमायूँ को गद्दी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। हुमायूँ को उत्तराधिकार देने के साथ ही साथ बाबर ने विस्तृत साम्राज्य को अपने भाईयों में बाँटने का निर्देश भी दिया था।
◆ हुमायूं की पत्नियाँ
1. बेगा बेगम-यह हुमायूँ की पटरानी थी जिसे शेरशाह ने बंदी बना लिया था।
11. हमीदा बानो बेगम– इसका विवाह हुमायूँ के साथ 29 अगस्त , 1541 ई. में हुई थी। हमीदा हिन्दाल के आधयात्मिक गुरु मीर अली अकबर जानी (बाबा दोस्त) की पुत्री थी। इसी के गर्भ से अमरकोट के राजा बीरसाल नामक राजा के घर मे अकबर का जन्म हुआ था।
111. हाजी बेगम– यह भी हुमायूँ की पत्नी थी। इसी ने हुमायूँ का मकबरा बनबाया था।
◆ कामरान मिर्ज़ा– बाबर का बेटा और हुमायूँ का सौतेला भाई था। कामरान को पंजाब की सूबेदारी प्रदान की थी। इसके पूर्व काबुल और लाहौर का शासन ले लिया।
◆ अस्करी मिर्ज़ा– बाबर का चौथा और सबसे छोटा बेटा था। हुमायूँ ने उसे सम्भल की बागडोर संभालने की ज़िम्मेदारी दी। 1534 ई. में हुमायूँ के गुजरात अभियान में उसके साथ रहा, जहाँ आसानी से गुजरात के शासक बहादुर शाह, पर विजय प्राप्त करने के बाद वह ऐश-आराम में पड़ गया।
◆ बहादुर शाह का पूरा नाम क़ुतुबुद्दीन बहादुर शाह था. सन 1526 से 1535 और फिर 1536 से 1537 ई. तक गुजरात की सल्तनत पर इसकी हुकूमत चली। बहादुर शाह, गुजरात के शासक शमसुद्दीन मुजफ्फर शाह द्वितीय का पुत्र था। शमसुद्दीन मुजफ्फर शाह द्वितीय ने बड़े बेटे सिकंदर शाह को अपना वारिस घोषित कर दिया था। सिकंदर शाह ने गुजरात सल्तनत का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया जिसके कारण बहादुर शाह के अपने भाई सिकंदर शाह और पिता के साथ सम्बंध खराब हो गए। गुजरात छोड़ कर बहादुर शाह चला गया।
गुजरात से बाहर निकलने के बाद बहादुर शाह ने अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी। छोटे-बड़े रियासत की मदद लेना शुरू कर दिया क्योंकि उसे भय था कि उसके बड़े भाई सिकन्दर शाह कहि उसकी हत्या न् करवा दी।
बहादुर शाह ने चित्तौड़ में पनाह ली। उस वक्त बाबर , दिल्ली पर हमले की तैयारी कर रहा था। 21 अप्रैल, 1526 ई. को बाबर और दिल्ली के लोदी वंश के सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच हरियाणा में पानीपत के मैदान में भयंकर युद्ध हुआ। इस लड़ाई ने भारत में बहलोल लोदी द्वारा स्थापित लोदी वंश को समाप्त कर दिया था। जिसके बाद बाबर का दिल्ली और आगरा में आधिपत्य स्थापित हो गया था। इस लड़ाई के वक्त बहादुर शाह भी वहाँ मौजूद था, उसे अपने पिता की अन्तकाल की खबर प्राप्त हुई, वह तुरंत गुजरात की ओर चल पड़ा।
◆ हिन्दाल– अबुल-नासिर मुहम्मद जिसे हिंदाल नाम से जाना जाता था। बाबर के सबसे छोटा बेटा था। जिसका जन्म 4 मार्च, 1519 ई. को काबुल, अफगानिस्तान में हुआ था। हिन्दाल को अलवर की सूबेदार बनाया गया था।
हुमायूँ को शेर खाँ ने जून’1529 ई. बक्सर के पास चौसा नामक स्थान पर पराजित किया ,पूरी मुगल सेना क्षत-विक्षत हो गई। एक भिश्ती ने हुमायूँ की जान बचाई। पुनः 1540 ई. में कन्नौज के युद्ध मे अफगानों ने हुमायूँ की सेना को बुरी तरह परास्त किया। हुमायूँ किसी तरह बच निकला। शेरशाह ने आगरा ब दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया। उसने लाहौर तक हुमायूँ का पीछा किया।
इस के साथ ही उसे देश छोड़कर बाहर जाना पड़ा।
मुगलों के उत्थान में बहुत सारे कारक महत्त्वपूर्ण है।
(1) मुगलों की उन्नत सैनिक व्यवस्था
(2) उन्नत शासन प्रबन्ध 3. शक्तिशाली सम्राट
शेरशाह से पराजित, अपनी बादशाहत खो
चुका और दिल्ली तथा आगरा से निर्वासित
हुमायूं लाहौर पहुंचा किन्तु कामरान मिज्जा के
असहयोग के कारण वह वहां भी टिक नहीं
सका।
शेर शाह ने मुगलों के विरुद्ध अभियान कर लाहौर पर अधिकार कर लिया और उनको हिन्दुस्तान छोड़ने के लिए विवश किया। बादशाह शेर शाह ने पश्चिमोत्तर प्रदेश में मुगलों की वापसी की सभी सम्भावनाओं को समाप्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाए
और हुमायूं को निर्वासित जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर किया।
ईरान के बादशाह की सहायता हुमायूं ने अस्करी को पराजित करने के बाद कान्धार पर अधिकार कर लिया। इसके बाद उसने काबुल पर भी अधिकार कर लिया। उसने कामरान मिर्ज़ा को अपने विरुद्ध
इस्लाम शाह सूर से सहायता प्राप्त करने के लिए दिल्ली की ओर प्रस्थान करने से पहले ही पकड़ कर उसको अंधा कर दिया। हिन्दाल की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी ।
भाइयों की समस्याओं से मुक्त होकर अब हुमायूं हिन्दुस्तान की अराजकतापूर्ण स्थिति का लाभ उठा कर उसे फिर से जीतने की योजना बनाई ।
सन् 1554 में हुमायूं ने लाहौर पर अधिकार कर लिया। 27 अप्रैल, 1555 को सरहिन्द में उसने अफ़गान सेना को पराजित कियान्और 27 जुलाई, 1555 को एक विजेता के रूप में उसने दिल्ली में फिर से प्रवेश किया किन्तु ठीक छह महीने बाद 27 जनवरी,
1556 को सीढ़ियों से लुढ़कने से गम्भीर रूप से घायल होने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
शासक के रूप में हुमायूं का आकलन भावुक प्रकृति के हुमायूं में व्यावहारिकता की कमी थी। उसने अपने पिता बाबर द्वारा अपने
भाइयों में राज्य के बटवारे की वसीयत को स्वीकार कर अपने लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं और स्वधर्मी शत्रु गुजरात के शासक बहादुर
शाह को चित्तौड़ विजय का अवसर प्रदान किया था।
◆ हुमायूँ के अन्त के समय “अकबर” पंजाब में अफगान विद्रोहियों को परास्त करने में लगा था। उसी समय पंजाब के “क्लान्नौर ” नामक स्थान पर अकबर का राज्याभिषेक 14 फरवरी, 1556 ई.में हुआ। उस वक्त अकबर सिर्फ तेरह वर्ष और चार महीने का था। 5 नवम्बर, 1556 ई० को एक ओर हेमू के नेतृत्व में अफगान व राजपूत सैनिक तथा दूसरी ओर मुगल सैनिक पानीपत के मैदान में आ डटे । इस युद्ध में मुगलों की विजय हुई। अकबर ने दिल्ली से जारी एक फरमान में बैरम खान को अपदस्थ कर दिया तथा उसे हज पर जाने का आदेश दिया। बैरम खाँ ने विद्रोह कर दिया। लेकिन जालंधर में परास्त हो गया,
◆ अकबर उसे पुनः मक्का जाने का आदेश दिया। मक्का की राह में 1561 ई० में एक लोहानी अफगान ने व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण उसकी हत्या कर दी।
1561 ई० में अधम खाँ के नेतृत्व में मुगल सेना ने मालवा पर कब्जा कर लिया। वहाँ का राजा बाजबहादुर अपने संगीत प्रेम और उसकी रानी रूपमती अपनी सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध थी। अकबर बाजबहादुर को मुगल मनसबदार बना लिया।