भारत का नेपोलियन समुंद्रगुप्त
गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त एक साधारण सामंती राजा था। श्रीगुप्त के बाद घटोत्कच गुप्त बंश का शासक बना। घटोत्कच में बाद उसका पुत्र चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का महान प्रतापी राजा बना। चंद्रगुप्त प्रथम में अपने शौर्य और प्रबल पराक्रम के बल पर ‘ महाराजाधिराज ‘ की उपाधि धारण किया। लिस्चवी वंश के राजकुमारी कुमारदेवी के साथ चंद्रगुप्त प्रथम का विवाह हुआ। लिस्चवीयो के माध्यम से सम्राज्य का विस्तार किया बाद में एक सभा का आयोजन कर समुंद्रगुप्त को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
समुंद्रगुप्त के दरबारी कवि ‘ हरिषेण ‘ ने अपने द्वरा लिखित प्रयागप्रशास्ति में समुंद्रगुप्त के राज्यारोहण और उसके विजयों का उल्लेख किया। प्रयाग प्रशस्ति के अनुसार समुंद्रगुप्त कभी पराजित नही हुआ, जिसके कारण प्रसिद्व इतिहासकार वी. स्मिथ ने उसे ” भारत का नेपोलियन'” कहा है।
समुंद्रगुप्त ने अपने प्रथम आक्रमण में उत्तर भारत के तीन शासकों – अच्युत, नागसेन और कोटकुल के शासक को पराजित किया था।
उसने अपने द्वितीय आक्रमण में रुद्रदेव (कौशाम्बी), मतिल (बुलंदशहर), चंद्रवर्मन (मारवाड़ का शासक) या बांकुड़ा का शासक , नागसेन (मथुरा का शासक), अच्युत (संभवत उत्तरप्रदेश के शासक), गणपति नाग (नागवंशी राजा जिसकी राजधानी पाध्यावटी थी), नंदिन (नागवंशी) और बलवर्मन को हराया था।
समुंद्रगुप्त ने अपने दक्षिण भारत के 12 राजाओं को पराजित किया था। कौशल के राजा महेंद्र, महाकान्तार के व्यघ्रराज (महाकान्तार का मतलब विस्तृत जंगल होता है।) ,कौशल के मटराज, पिष्टुपुर का महेन्द्रगिरि, कोट्टुरप के स्वामीदत्त, विज़िगापट्टम के दमन, कांची के विष्णुगोप, अवमुक्त का नीलराज, वेंगी प्रदेश के हस्तिवर्मन, उग्रसेन (पालस्क राजा), देव-राष्ट्र का कुबेर और कुरुथलपुर के धनंजय है। इसके अलावा उन्होंने सीमांत राजाओ को हराया था।
अनेक गणराज्यों मालव, बौद्धये, भद्रक, आभोर, अर्जुनायन, प्रांज़ून, संकानिक, शक, खरपिक को हराया था। द्वीप समूहों पर भी अधिकार किये थे। समुंद्रगुप्त के पास नोँ सेना थी।
समुंद्रगुप्त ने विक्रमांक की उपाधि धारण की थी।
अपनी विजयों के पश्चात उसने अश्वमेघ यज्ञ किया था। उनके सिक्को पर वीणा बजाते हुए उनकी आकृति मिलती है। समुंद्रगुप्त विष्णु के भक्त थे। उन्होंने छह प्रकार की स्वर्ण मुद्राएं ( गरूड़, धनुधर, परशु, अश्वमेघ, व्याघ्रहंता एवं वीणा धारण ) प्रचलित थी।
इसप्रकार कहा जा सकता है वह एक वास्तविक प्रतापी राजा था।