भारतवर्ष एक परिचय
भारत वर्ष विशिष्टता वाला देश है। भारत देश पूर्णतः पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में है। यह विषुवत रेखा के उत्तर में 8°4′ से 37°6′ उत्तरी अक्षांश और 68°7′ से 97°25′ पूर्वी देशांतर के मध्य विस्तृत है। कर्क रेखा भारत देश के मध्य से होकर जाती है। जबकि 82१/२°पूर्वी देशांतर इस देश के मध्य से निकलती है। भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का दक्षिण छोर ग्रेट-निकोबार से दक्षिण में स्तिथ इंदिरा पॉइन्ट 6°30′ उत्तरी अक्षांश तक विस्तृत है।
भारत एक विशाल देश है। इसका विस्तार उत्तर-दक्षिण में 3214 किलोमीटर और पूर्व-पश्चिम में 2933 किलोमीटर है। भारत का स्थलीय सीमा 15,200 किलोमीटर और समुंद्री सीमा 6,100 किलोमीटर है। इसका क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर है।
यहाँ का क्षेत्रफल पूरे विश्व का लगभग 2.4%है
। यहाँ विश्व की 16 % जनसंख्या निवास करती हैं। सम्पूर्ण देश एक उष्ण मानसूनी प्रभाव वाला देश हैं। यहाँ छह ऋतुएँ होती है। कृषि भारतवर्ष के एक राष्ट्रीय उधोग हैं।
विश्व के सुंदरतम भवन निर्माण के उतकृष्ट नमूने भारत मे पाये जाते है। फतेहपुर के सीकरी, रामेश्वरम के सबसे लंबा मंदिर दालान (1200मीटर) , चोल और चालुक्यों के द्रविड़ शैली, कर्नाटक के एक पत्थर से निर्मित गोमतेश्वर की मूर्ति, कोणार्क के सूर्य मंदिर,मदुरई के मीनाक्षी और कांजीवरम के भव्य मंदिर, सोनपुर का विश्व का लंबा प्लेटफार्म, बीजापुर का गोल गुम्बज,आगरा के ताज़महल, जयपुर के जंतर मंतर, दिल्ली के इंडिया गेट, मुम्बई के गेटवे ऑफ इंडिया, सोमनाथ के विशाल मन्दिर, तंजावुर के मंदिर इसके उदाहरण है।
- जलवायु संबंधी विविधता भी भारत मे उपलब्ध है। चेरापूंजी तथा मानिसराम जैसे अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्र, पश्चमी राजस्थान जैसे शुष्क मरुस्थल प्रदेश, पूर्वी भारत मे पश्चिम बंगाल की मैंग्रोव, उत्तर भारत मे अर्द्ध-शुष्क बलुआही मैदान और पश्चिमी भाग में पश्चमी घाट के अत्यधिक वर्षा वाले समुंद्रतटिये प्रदेश और दक्कन के वृष्टि छाया के आंतरिक प्रदेश भारत के जलवायु विषमताओं का परिचायक है।
भारतवर्ष में अनेक धर्मो और जातियों के लोग निवास करते हैं। यहाँ पर ईसाई, हिन्दू, सिख,मुस्लिम,यहूदी, जैन, बोद्ध, पारसी और जनजातियां मिलते हैं। भारत मे प्रति 50 किलोमीटर पर भाषा, रहन-सहन और रीति-रिवाज़ों में भी अंतर होने लगता है। पूरे भारत मे 225 बोलियाँ बोली जाती है जिनमे 18 मुख्य भाषाएँ है। जैन-बोध धर्म का जन्म और विकास गंगा की घाटी में ही हुआ है। प्राचीन भारत के व्यापारी अपने ज़हाज़ों (जलयान) में अनेकों वस्तुओं को भरकर दूर देशों में ले जाकर धन प्राप्त करते थे। भारत की वैदिक संस्कृति विश्व की प्राचीन संस्कृति में से एक हैं।
भारत के प्राचीन ग्रंथ विष्णु पुराण के अनुसार पृथ्वी के वह भू-भाग को जो उत्तर में हिमाद्रि, हिमवान, हेमकूट पर्वत तंत्र से दक्षिण में सेतुबंध तक विस्तृत है। और जहाँ भारतीय संतति (चक्रवर्ती सम्राट भरत की संतान) निवास करती है, को भारत या भारत-वर्ष कहते है।
प्राचीन काल मे आर्यो की भरत नाम की शाखा ने आर्यो के दूसरे समुदाय या शाखा को पराजित करके अपना आधिपत्य स्थापित करके वर्चस्व स्थापित कर लिया था। वैदिक आर्यो में उत्तर-पश्चिम सिंधु प्रदेश के निवासियों को सिंधु कहकर पुकारा जाने लगा। उत्तरो- त्तर बाद में ईरानियों ने इसे हिन्दू कहकर पुकारने लगे। सिंधु नदी के उस पार में विस्तृत इस देश को उसी वक्त से हिंदुस्तान कहा जाने लगा। रोम निवासियों ने सिंधु नदी के घाटियों के प्रदेश के निवासियों को इंडस (Indus) कहने लगे।
भारत की आकृति पुर्णतः त्रिभुजाकार नही है। प्रकृति द्वारा द्वारा बहुत अच्छी तरह से परिसीमित किया गया है। भर के उत्तर में हिमालय पर्वत श्रेणियाँ, पूर्व में अराकान योमा श्रेणियाँ, दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर , दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी एवं दक्षिण में हिन्द महासागर प्राकृतिक सीमाएँ बनाते हैं।