बारूद में प्रयोग होने वाला चारकोल का निर्माण
प्राकृतिक उत्पादों में उपस्थित कार्बन से अनेकों उपयोगी पदार्थो का निर्माण किया जाता है उनमें से एक चारकोल भी है। चारकोल कार्बन का एक अशुद्ध रूप होता है। यह कार्बन का एक अपररूप है। इसे लकड़ी, चीनी तथा जंतुओं की हड्डियों एवं रक्त को जलाकर प्राप्त किया जा सकता है। इनमे से काष्ठ चारकोल सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। लकड़ी में 35 % कार्बन रहता है। काष्ठ चारकोल लकड़ी को हवा के अपर्याप्त मात्रा में गर्म करने पर यानी लकड़ी के भंजन-स्त्रवण से प्राप्त किया जाता हैं। कच्ची लकड़ी में जल का अंश सुखी लकड़ी के अपेक्षा अधिक होता है।

कच्ची लकड़ी को गरम करने पर लकड़ी का जल जलवाष्प के रूप में निकलकर अग्नि को ढक लेती है। इस कारण लकड़ी और हवा के मध्य एक आवरण का निर्माण हो जाती है। अतः लकड़ी पुर्णतः वायु के संपर्क में नही आ पाता है और लकड़ी ऑक्सिजन से अभाव में पूर्णतः नही जल पाता है और चारकोल की प्राप्ति हो जाती है। लकड़ी में कार्बन की मात्रा अधिक रहने पर अत्यधिक चारकोल की प्राप्ति होती है।
कच्ची लकड़ी को गरम करने पर लकड़ी का जल जलवाष्प के रूप में निकलकर अग्नि को ढक लेती है। इस कारण लकड़ी और हवा के मध्य एक आवरण का निर्माण हो जाती है। अतः लकड़ी पुर्णतः वायु के संपर्क में नही आ पाता है और लकड़ी ऑक्सिजन से अभाव में पूर्णतः नही जल पाता है और चारकोल की प्राप्ति हो जाती है। लकड़ी में कार्बन की मात्रा अधिक रहने पर अत्यधिक चारकोल की प्राप्ति होती है।
चारकोल में निम्नलिखित गुण होने के कारण यह बहुत महत्वपूर्ण होती है।
चारकोल आसानी से टुकड़े टुकड़े हो सकता है।
यह कागज पर चिन्ह बना सकते हैं।
चारकोल उष्मा और विधुत का कुचालक होता है।
इसका आपेक्षिक घनत्व 1.5 है, यानी यह जल से डेढ़ गुणा भारी है फिर भी जल के उपर तैरता रहता है क्योंकि इसकी छिद्रों में हवा भरी रहती है। लेकि इसका चूर्ण जल से भारी होता है जल में डूब भी जाता है।
चारकोल गैसों और द्रव को शोषित कर लेती है इसलिए इस गुण के कारण यह हवा को शुद्ध करने में प्रयुक्त होता है।
चारकोल जल में विधमान रंगीन अशुद्धियों को शोषित कर जल को शुद्ध बनाती है। इसका उपयोग बारूद बनाने में, धातुओं को अवकृत कर शुद्ध बनाने मे, औषधि निर्माण में, कीटाणु नाशक के रूप में, उच्च निर्वात के निर्माण में, जल गैस के निर्माण में,प्रोड्यूसर गैस के निर्माण एवं घर मे जलावन के रूप में प्रयुक्त होता है।