पृथ्वी की आयु
पृथ्वी की आयु (वैज्ञानिक आधारों पर परिकलित) सागरीय लवणता के आधार पर लगभग 12करोड़ वर्ष है।
तलछट के जमाव के आधार पर 50 करोड़ वर्ष से 633 करोड वर्ष है।
*अपरदन के आधार पर 10 अरब 56 करोड़ वर्ष हैं।
चन्द्रमा की ज्वारीय शक्ति के आधार पर लगभग-4 अरब वर्ष हैं।
पृथ्वी के शीतल होने की गति के आधार पर (लार्ड-केलविन के अनुसार)-4 करोड़ वर्ष हैं।
रेडियों सक्रिय खनिज विधि के आधार पर 2 अरब वर्ष से 3 अरब वर्ष के बीच हैं।
आज विभिन्न प्रमाणों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पृथ्वी की आयु 2 अरब वर्ष से कम नही है। इस दृष्टि से रेडियो सक्रिय पदार्थों के आधार पर की गयी पृथ्वी की आयु सम्बन्धी गणना 2 से 3 अरब वर्ष (O से 300 करोड़ वर्ष) ही उपयुक्त एवं मान्य है।
• पृथ्वी के बाह्य सतह का सम्पूर्ण क्षेत्र 51,01,00,500 वर्ग किमी है।
• पृथ्वी का कुल स्थल क्षेत्र-14,89,50,800 वर्ग किमी है।
• पृथ्वी का कुल जल क्षेत्र-36,11,49,700 वर्ग किमी है।
पृथ्वी के कुल भाग का प्रतिशत स्थल भाग-29% हैं।
पृथ्वी के कुल भाग का प्रतिशत जल भाग-71% हैं।
पृथ्वी का द्रव्यमान-5.976 x 1024 किग्रा हैं।
पृथ्वी का भूमध्य रेखीय परिधि-40,067 किमी हैं।
पृथ्वी का भूमध्य रेखीय व्यास-12,754 किमी हैं।
पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास-12,713 किमी हैं।
पृथ्वी के केन्द्र की गहराई–6,380 किमी हैं।
सूर्य से पृथ्वी की दूरी-14,94,07,000 किमी हैं।
चन्द्रमा से पृथ्वी की दूरी-3,84,402 किमी हैं।
अपनी धुरी पर पृथ्वी के परिभ्रमण की अवधि-दैनिक गति)-23 घंटा 56 मिनट 4 सेकेण्ड हैं। परिभ्रमण गति 30 किमी प्रति सेकेंड होती हैं।
वृहस्पति पृथ्वी से ग्यारह गुना बड़ा है।
पृथ्वी के भीतरी भाग को परिमाण मण्डल कहते हैं।
पृथ्वी के अन्दर के पदार्थ गर्म तथा पिघली हुई अवस्था में हैं।

पृथ्वी के धरातल के चारों ओर जो वायु 200 मीटर की ऊंचाई तक है उसे वायुमण्डल कहते हैं।
पृथ्वी के ऊपरी ठोस भाग को भूपर्पटी कहते हैं। यह पृथ्वी के कुल आयतन का 0.5 प्रतिशत है।
पृथ्वी के कुल आयतन का लगभग 83% मेंटल है।
मेंटल के ऊपरी हिस्से को एस्थिनोस्फेयर कहते हैं।
पृथ्वी के कुल आयतन का 16 प्रतिशत धात्विक क्रोड है।
क्रोड पदार्थ को ‘NIFE’ या निफे (निकिल+लोहा) कहते हैं।
जब चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है।तो सूर्यग्रहण होता है।
जब पृथ्वी सूर्य एवं चंद्रमा के बीच चली आती है, तो चन्द्रग्रहण लगता है।
पथ्वी के ऊपरी भाग का निर्माण परदतार शैलों से हुआ है, जिसकी औसत मोटाई 800 मीटर हैं।
सम्पूर्ण पृथ्वी का औसत घनत्व 505 है अत:
स्पष्ट है कि इस परत के नीचे स्थित भाग का घनत्व 5-5 से अधिक होगा और इसे सामान्यतया 11.00 माना जाता है।
घनत्व सम्बन्धी विभिन्न प्रमाणों से यह पता चलता है कि पृथ्वी के क्रोड भाग (core) का घनत्व सर्वाधिक है।
धरातल के नीचे ज्यों-ज्यों बढ़ते जाएँ दबाव भी बढ़ता जाता है।
सामान्यतया पृथ्वी के अन्दर प्रवेश करने पर प्रति 100 मी० की गहराई पर 2 या 3° से० तापमान की वृद्धि होती है लेकिन यह पता मात्र 8000 मीटर की गहराई तक ही लगाया जा सकता है।