कैबिनेट मिशन पहले पाकिस्तान गया था
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन में 1945 ई. में हुए चुनाव में लेबर पार्टी ने चुनाव जीता और क्लीमेंट एटली प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए।

सन 1945 ई. में हुए ब्रिटिश चुनाव के बाद भारत मे एमरी के बाद भारत सचिव लार्ड पैथिक लॉरेंस बने। भारत सचिव लार्ड पैथिक लॉरेंस ने 19 फरवरी, 1946 ई. में घोषणा की , की ब्रिटिश सरकार भारत मे एक मंत्रिमंडल भेजेगी जो भारतीय नेताओं से स्वतंत्रता के प्रश्नों पर विचार विमर्श करेगी। कैबिनेट मिशन के बारे में 15 मार्च, 1946 ई. को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने एक वक्तव्य दिया ” मेरे सम्मानित सहयोगी अपने प्रयास में सफल होने के लिए भारत जा रहे हैं”।
कैबिनेट मिशन के तीन सदस्य में भारत सचिव लार्ड पैथिक लॉरेंस, सर स्टेफोर्ड क्रिप्स तथा ऐडमिरल्टी के प्रथम लार्ड ए. बी एलेक्सजेंडर बने। कैबिनेट मिशन के अध्यक्ष भारत सचिव लार्ड पैथिक लॉरेंस बने।
संविधान सभा के निर्माण के लिए कैबिनेट मिशन सवर्प्रथम 23 मार्च, 1946 ई. को करांची गया उसके बाद 24 मार्च , 1946 ई. को दिल्ली आया। यह मिशन भारत आकर और विभिन्न दलों व वर्गों के लोगों से विचार विर्मश कर अपनी रिपोर्ट पेश की।
केबीनेट मिशन भारत आकर राजनीतिक नेताओँ से लम्बी वार्ता के बाद भारत के भावी राजनीतिक संगठन के सबंध में योजना की घोषणा की, इस योजना में सबसे महत्वपूर्ण ” भारत मे एक नया सविंधान सभा के निर्माण की व्यवस्था करना” था।
कैबिनट मिशन के संस्तुतियों के आधार पर ही संविधान सभा ( संविधान के निर्माण करने वाली कमिटी ) का गठन जूलाई 1946 ई. में हुआ। सविंधान सभा का निर्माण प्रांतीय विधानमंडल के द्वारा निर्वाचित सदस्यों के द्वारा निरूपित की गई थी।
संविधान सभा मे सदस्यों की कुल संख्या -389 थी। (जिसमे 292 ब्रिटिश प्रांत के सदस्य, 93 देशी रियासतों के सदस्य और 4 चीफ कमिश्नर के सदस्य थे।
* 292 ब्रिटिश प्रान्तों का बंटवारा में 213 सामान्य समुदाय के प्रान्त, 79 मुस्लिम प्रान्त और 4 सिख समुदाय के प्रान्त थे। सविंधान सभा के सदस्यों का चुनाव विभिन्न प्रान्तों एवं देशी रियासतों की विधानसभाओं द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से किया गया।
मुहमद अली जिन्ना के पाकिस्तान की मांग के जबाब में कैबिनेट मिशन ने जबाब दिया – हमने मुस्लिम लीग की पाक की मांग पर विचार किया है, इससे साम्प्रदायिकता की समस्या हल नही होगी। कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच विवाद का समझौता कराने का प्रयास कैबिनेट मिशन ने किया।
* 9 दिसम्बर, 1946 ई. को 11 बजे दिन में नयी दिल्ली में स्तिथ कॉउन्सिल चैम्बर के पुस्तकालय भवन में सविंधान सभा की प्रथम बैठक हुई। इस सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य डॉ सचिदानंद सिन्हा के नाम का प्रस्तावित वक्त के कांग्रेस अध्यक्ष आचार्य जे.बी कृपलानी ने किया। डॉ सचिदानंद सिन्हा को सविंधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया।
डॉ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी सदस्य 11 दिसंबर,1946 ई. को चुना गया। मुस्लिम लीग ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया। अन्तिम रूप से 14 अगस्त,1946 ई. को पुनः सविंधान सभा की बैठक हुई तथा इसने नया सविंधान बनाने का कार्य आरंभ कर दिया।
परामर्श समिति द्वारा सविंधान के मुख्य पहलुओं से संबंधित एक रिपोर्ट तैयार की गई, जिसको आधार बनाकर प्रो. बी.एन राव द्वारा सविंधान का प्रारूप प्रस्तुत किया गया।
संविधान सभा का गठनमुस्लिम लीग ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया और पाकिस्तान के लिए सविंधान बनाने के लिये एक पृथक सविंधान सभा की गठन की मांग की।
के .एम मुंशी ने सविंधान सभा के बारे में वक्तव्य दिया “शायद ही जनमत का कोई ऐसा पक्ष हो ,जिसे सविंधान सभा मे स्थान प्राप्त न् हो”। सविंधान सभा मे अनुसूचित जनजाति के सदस्य और महिला सदस्य क्रमशः 33 और 9 थी। सविंधान सभा के कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए 15 समितियाँ निर्मित की गयी, जिसमे 8 समिति बहुत महत्वपूर्ण थी।

सविंधान सभा की कार्यवाही 13 दिसंबर, 1946 ई. को जवाहरलाल नेहरु द्वारा प्रस्तुत किये गए उद्देश्य प्रस्ताव के साथ आरंभ हुई।
प्रारूप समिति का गठन
28 अगस्त, 1947 ई. को सविंधान सभा ने डॉ भीमराव अंबेडकर को अध्यक्षता में प्रारूप समिति का गठन किया गया। इस समिति ने फ़रवरी 1948 ई. में सविंधान सभा को सविंधान का प्रारूप प्रस्तुत किया। प्रारूप समिति में कुल 7 सदस्य थे।
1. भीम राव अंबेडकर -अध्यक्ष 2. एन. गोपालस्वामी आयंगर 3.अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर 4. कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी 5.सैयद मोहम्मद सादुल्ला 6. एन. माघव राव (बी. एल मित्र के स्थान पर नियुक्त) 7. डी. पी खेतान (1948 ई. में इनके बाद टी. टी कृष्णामाचारी को सदस्य बनाया गया)
संविधान सभा के दो कार्य थे। प्रथम सविंधान का निर्माण, द्वितीय- जब तब संसद का गठन न् हो तब तक संसद के रूप में कार्य करना।