एथेन्स का स्वर्णिम युग
पेरिक्लीज : एथेस में पेरिक्लीज (Pericles) का महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उसका शासनकाल 461-430 ई०पू० है। वह बड़े-बड़े विद्वानों और दार्शनिकों के संपर्क में रहता था। उसके समय एथेंस की चतुर्दिक प्रगति हुई। इसका शासन काल स्वर्ण युग कहा जाता है। सुरक्षा की दृष्टि से एथेंस के दोनों ओर मजबूत दुर्गों का निर्माण किया गया। थेसली, आर्गोस आदि राज्यों के साथ मित्रता स्थापित की गई। जनतंत्रवाद का खूब विकास हुआ। कोई भी स्वतंत्र नागरिक आर्कन के पद पर आसीन हो सकता था। वह जनता द्वारा निर्वाचित था। और उसे वेतन दिया जाता था। परिषद् (बाउल) और लोकसभा (एक्लेशिया) प्रमुख संस्थाएं थीं। परिषद् के सदस्यों की संख्या 500 थी। वे दस कबीलों का प्रतिनिधित्व करते थे। प्रत्येक कबीले के प्रत्येक नागरिक को सदस्य होने का अधिकार दिया जाता था।

कार्यकुशलता के लिए सदस्यों को 10 समितियों में बाँट दिया गया था। परिषद् के विविधकार्य थे। कोई भी स्वतंत्र नागरिक लोक सभा का सदस्य हो सकता था। इसकी बैठक साप्ताहिक हुआ करती थी और बहुमत के द्वारा निर्णय लिया जाता था।
पेरिक्लीज के शासन काल में एथेंस की आर्थिक उन्नति काफी हुई। यह उद्योग-धंधों और वाणिज्य-व्यापार का एक प्रसिद्ध केन्द्र बन गया। कला-कौशल के अनेक काम हुए। पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार किया गया। नए मंदिर बनाए गए जिनमें पार्थेनन नामक एथीनादेवी का मंदिर विशेष उल्लेखनीय है। पेरिक्लीज ने एथेंस की सुरक्षा के लिए एथेंस से लेकर उसके बन्दरगाह पिरेअस (Piraeus) तक दो समानान्तर दीवारों का निर्माण कराया।

एक्रोपोलिस (Acropolis) जो दो सौ फीट ऊँची एक पहाड़ी थी, वहाँ अनेक सुन्दर मंदिर बनाए गए। एथेंस के बाजार को अगोरा (Agora) कहते थे। वहाँ वस्तुओं की खरीद-बिक्री में लोग व्यस्त रहते थे। फीडियस और पोलिक्लेटस इस युग के प्रसिद्ध मूर्तिकार थे। दुःखान्त नाटककार सोफोक्लीज और यूरोपिडीज, काव्यकार पिंडर, इतिहासकार हेरोडोटस और थ्यूसीडाइडस इसी युग में हुए।

हिप्पोक्रेट्स जैसे चिकित्सक इमिडोक्लीज एवं डेमोक्रेटस जैसे वैज्ञानिक और सुकरात जैसे दार्शनिक का प्रादुर्भाव भी इसी काल में हुआ था।
यह युग पेशेवर शिक्षकों के उत्थान के लिए भी प्रसिद्ध है जो सोफिस्ट कहे जाते थे। इन्होंने भाषण और गद्यलेखा को काफी प्रोत्साहन किया। सर्वांगीण प्रगति को देखते हुए पेरिक्लीज ने एथेंस को ‘हेलाज का स्कूल’ कहा था। एथेंस की उन्नति का एकमात्र कारण था- एथेन्स के निवासियों की स्वतंत्रता। पेरिक्लीज कहते थे- ” हम अपने नवयुवकों को शरीर से शक्तिशाली होने के लिए असभ्य नही बनाते हैं।, हम उन्हें सभ्य बनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभा-संपन्न बनाते हैं।