अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम तथा गृहयुद्ध

1492 ई० में कोलम्बस ने अमरीका या नई दुनिया का पता लगाया। इसके साथ ही उसकी शस्य-श्यामला और रलगर्भ भूमि पर आधिपत्य जमाने के लिए अन्य यूरायीय देशों में होड़ मच गई। स्पेन, इंगलैंड और फ्रांस ने इसे आपस में बाँट लिया। प्रारंभ में उत्तरी अमेरिका में फ्रांस, हॉलैंड, स्पेन और इंग्लैंड के उपनिवेश थे।
ब्राजील के अतिरिक्त दक्षिण अमरीका का सम्पूर्ण भाग स्पेन के अधिकार में था। उत्तरी अमेरिका में इंगलैंड और फ्रांस का आधिपत्य था। अंग्रेजी उपनिवेश समुद्र तट पर स्थापित हुए और फ्रांसीसियों ने सेंट लारेन्स नदी के किनारे अपने उपनिवेश बसाए। कनाडा पर फ्रांस का अधिकार हो गया। 18 वी शताब्दी में अंग्रेजों ने उत्तर अमरीका और कनाडा से फ्रांसिसियों को तथा न्यू नीदरलैंड से डच निवासियों को खदेड़ दिया। 18 वीं सदी के मध्य में इंगलैंड के तेरह (13) अमरीकी उपनिवेश थे। इस क्षेत्र में बसे लोग कपास और तम्बाकू की खेती करते थे।
18 वीं शताब्दी के मध्य तज आर्थिक समृद्धि प्राप्त करने के बाद उपनिवेश्वशियो के मन में राजनीतिक स्वतंत्रता की कामना जगने लगी। फलतः वे इंग्लैंड द्वारा आरोपित नियमों और कानूनों का विरोध करने लगे। इसप्रकार धीरे धीरे यही विरोध स्वतंत्रता आंदोलन के रूप में परिवर्तित हो गया।
इंगलैंड के तेरह अमरीकी उपनिवेशों ने स्वतंत्रता-संग्राम छेड़ दिया। इसके निम्नलिखित कारण ये : –
वाणिज्यिक कारण :
उत्तर अमरीका में इंगलैंड के तेरह उपनिवेश सेंट लारेंस से
जार्जिया तट तक विस्तृत थे। इनकी स्थापना भिन्न-भिन्न अंग्रेज प्रवासियों के द्वारा भिन्न- भिन्न वक्त में हुई थी, परन्तु आरम्भ से ही इंगलैंड उन्हें अपनी संपत्ति समझता था । वे धन उत्पादन के साथन मात्र समझे जाते थे और मातृभूमि के लाभ के लिए थे । अतएव इंगलैंड ने आरम्भ से ही उनके प्रति ऐसी वाणिज्य नीति चलाई जिससे उसे लाभ हुआ। इसके लिए उसने अनेक कानून बनाए जिनमें नौवहन अधिनियम (Navigation Act), व्यापार अधिनियम एवं आयात-नि्यात अधिनियम मुख्य थे | नौवहन अधिनियम के अनुसार इंगलैंड तथा उनके उपनिवेशों या यूरोपीय देशों के बीच द्रिटिश निर्मित जहाजों में माल ढोना भिन्न समय आवश्यक कर दिया गया तथा इन जहाजों को केवल ब्रिटिश कप्तान ही चला सकते थे।
इस अधिनियम से उपनिवेशों को काफी आर्थिक क्षति होती थी उनकी व्यापारिक स्वतंत्रता नष्ट कर दी गई। ब्रिटिश संसद् ने व्यापार कानून बनाकर यह निश्चित कर दिया कि उपनिवेशों की कौन-कौन सी वस्तुओं का व्यापार कैसे करना था। कुछ वस्तुएँ, जैसे चाकू, लोहा, लकड़ी, लोमचर्म (Fur) आदि केवल ब्रिटेन ही भेजी जा सकती थीं। फलतः अमरीकी व्यापारियों को विवश होकर अपनी उत्तम वस्तुएँ भी ब्रिटिश सौदागरों के हाथ कम मुल्य मर बेच देनी पड़ती थी। अगरीकी उद्योग धंधों को नष्ट करने के लिए ब्रिटिश संसद ने आयात निर्यात कानून पारित किए। सरकार ने यह निश्चित कर दिया कि अमरीका के बने ऊनी माल का निर्यात दूररे देशों में नहीं होगा। उपनिवेशवासी लोहे का छोटा-मोटा माल भी तैयार नहीं कर सकते थे अत: ब्रिटेन द्वारा लगाए गए अनेक प्रतिबंधों को तोड़ने, अपनी आर्थिक व्यवस्था की मजबूत करने एवं स्वतंत्र जीवन व्यतीत करने के लिए उपनिवेशवासियों नै स्वतंत्रता- संग्राम शुरू किया।
राजनीतिक कारण :-
अधिकांश उपनिवेशों की स्थापना मुख्यतः निजी साहस का प्रतिफल था लेकिन इंग्लैंड उनको अपनी पैतृक सम्पत्ति समझता था । सभी उपनिवेशों पर इगलैंड की प्रभुता थीं । कुछ को स्वायत्त शासन प्राप्त था अनेक उपनिवेशों की अपनी- अपनी विधान सभाएँ थीं, जहाँ सदस्य इकदूठे होकर अपने-अपने उपनिवेशों के मामले में विचार विमर्श करते थे। किन्तु, यह स्वायत्त-शासन नाम मात्र का था । उपनिवेशों के गवर्नर और उनकी परिषद के सदस्य ईंगलैंड के राजा द्वारा मनोनीत किए जाते थे। वे स्थानीय व्यवस्थापिका सभा के सामने नहीं वरनू इंगलैंड के राजा के प्रति उत्तरदायी थे। गवर्नर को
विशेषाधिकार प्राप्त थे वे प्रायः अपने निषेधाधिकार का प्रयोग कर किसी भी कानून को पारित नहीं होने देते थे। फलतः बराबर संघर्ष की स्थिति बनी रहती थी उपनिवेशवासी अपनी व्यवर्थापिका सभाओं को प्रधान मानते थे, परन्तु इंगलैंड उन्हें एक अधीनस्य निकाय मानता था । उपनिवेशों को कहा जाता था कि उनमें शासन करने की योग्यता नहीं है। उपनिवेशवासी इसमें अपना अपमान समझते थे और एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था का संगठन चाहते थे जो उन्हें राजनीतिक अधिकार प्रदान कर सके। यह स्वतंत्रता -संग्राम से संभव था ।
मध्यवर्ग का उदय :
मध्यवर्ग का उदय हो चुका था। वे आरम्भ से ही स्वतंत्र विचार के थे वे हंगलैंड की धार्मिक यातनाओं से तंग आकर अमरीका भाग आए थे। उनमें पहले से ही अपनी सरकार, अपनी शासन-व्यवस्था या अपना संविधान तैयार करने की भावना काम कर रही थी। वै अपनी सैनिक क्षमता एवं रण-कुशलता जानते थे। बात यह थी कि कभी -कपी ईगलैंड अपने उपनिवेशों की सहायता से युद्ध लड़ता था । इससे उपनिवेशवासियों को अपनी सैनिक क्षमता का सही अन्दाज मालूम था । उन्हें यह भी मालूम था कि वे अग्रज सिपाहियों से अच्छी तरह लड़ सकते हैं। सप्तवर्षीय युद्ध (1756-63 ई०) ने उनके इस आत्म- विश्वास को और भी बढ़ा दिया।